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पेटक लेल / अविरल-अविराम / नारायण झा

देखै छी आइ-काल्हि
बेचि रहल अछि
बकरी अपन बच्चा
गीदड़क हाथे
पेट लेल मात्र
ओकर पेट
भ' गेलेए समुन्द्र
की जानि तहुस'
भरतै की नहि?