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पेड़ की पहचान उसके पात से होवे / पुरुषोत्तम प्रतीक
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पेड़ की पहचान उसके पात से होवे
बाग़बानी आदमी के हाथ से होवे
सिर्फ़ दिल रखना दिलेरी मान लें कैसे
एक जज़्बा हौसलों के साथ से होवे
रोशनी हो रोशनीबाज़ी न हो तो फिर
हो सफ़र दिन से शुरू या रात से होवे
जब मिलें ऐसे मिलें, फिर मिल सकें सबको
ये घरेलूपन हमारी जात से होवे
तुम नदी के किस किनारे पर खड़े हो यूँ
बात होवे तो खुलासा बात से होवे