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पेड़ से होकर जुदा पत्ते ने दी है ये दुआ / मोहम्मद इरशाद

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पेड़ से होकर जुदा पत्ते ने दी है ये दुआ
जा भला तेरा करेगा ए-हवा मेरा ख़ुदा

किससे अब शिकवा करें हम कौन सुनता है यहाँ
मान ले ऐ दिल तू अब तो जो हुआ अच्छा हुआ

जब पलट के देखता हूँ दूर तक कोई नहीं
रोज़ पीछा करती मेरा जाने है किसकी सदा

बनके नश्तर हर सितारा ज़िस्म में चुभता रहा
पल-दो पल की बात छोड़ो रात भर ऐसा हुआ

तूने ऐ ‘इरशाद’ यूँ ही वक्त जाया कर दिया
ख़्वाब में खो कर के किससे रात भर सोता रहा