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पेड़ / मधुसूदन साहा

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पेड़ जीवन है हमारा,
पेड़ ही धन है हमारा,
पेड़ को जो नष्ट करता
दुष्ट दुश्मन है हमारा।

पेड़ देता छाँह सबको,
खुद बढ़ाकर बाँह सबको,
मदद करने की नसीहत
मुश्किलों के माँह सबको।

पंछियों का घर यही है,
वायु का सहचर यही है,
बांसुरी बजती जहाँ थी
कृष्ण का तरुवर यही है।

यह बचाता है जमीं को,
प्राण देता आदमी को,
घर बुलाकर बादलों को
छाँह देता है नमी को।

पेड़ क्यों काटते हो?
डाल हरदम छाँटते हो,
स्वयं अपने हाथ से क्यों
मुश्किलों को बांटते हो?