पेड, कटे तो छाँव कटी फिर आना छूटा चिड़ियों का
आँगन आँगन रोज, फुदकना गाना छूटा चिड़ियों का।
आँख जहाँ तक देख रही है चारों ओर बिछी बारूद
कैसे पाँव धरें धरती पर‚ दाना छूटा चिड़ियों का।
कोई कब इल्ज़ाम लगा दे उन पर नफरत बोने का
इस डर से ही मन्दिर मस्जिद जाना छूटा चिड़ियों का।
मिट्टी के घर में इक कोना चिड़ियों का भी होता था
अब पत्थर के घर से आबोदाना छूटा चिड़ियों का।
टूट चुकी है इन्सानों की हिम्मत कल की आँधी से
लेकिन फिर भी आज न तिनके लाना छूटा चिड़ियों का।