भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पैसा ऐसी चीज राजा घरै नहीं आवैं / अवधी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पैसा ऐसी चीज राजा घरै नहीं आवैं

कि अरे महला पुराने होई गें
टपकन लगी बूँद, राजा घरै नहीं आवैं

कि अरे ननदी सयानी होई गईं
मानै नहीं बात, राजा घरै नहीं आवें

कि अरे देवरा सयाने होई गें
पकड़न लगे बांह, घरै नहीं आवैं

कि अरे हमहूँ पुरानी होई गईं
पाकन लगे बार, राजा घरै नहीं आवैं