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पोसाळ / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
तीस बरस जूनी
भीतां ई
भणी-गुणी है अठै
कान पाकग्या
अ अनार
आ आम री टेर सुणतां
सातवैं सुर में
बारखड़ी रो बालणो
मंतरा सूं होड करै।
आ पोसाळ
कींकर
कम है किणी मिंदर सूं?