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पोस्टर पर लोकतंत्र / अमरेन्द्र

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इन्द्रासन का सुख-वैभव है मंत्राी जी के घर पर
जनता के घर तो रहता है कोशी का ही ताण्डव
इनके गाँव, घरौंदे, बस्ती; स्वाहा होता खाण्डव
और सुरक्षा की गारण्टी सटी हुई पोस्टर पर।

पोस्टर पर जनता का सुख है, सुविधाओं की सूची
पोस्टर पर ही नेताओं का दर्शन भी है संभव
राजनीति जो चहक रही है, पोस्टर पर है कलरव
क्या कमाल करती है देखो कलाकार की कूची ।

पोस्टर के पीछे कुम्हलायी नहीं दिखाती दुनिया
इसीलिए तो पोस्टर पर अरबो-अरबों बह जाते
गो के बदले गोपालक ही आठो याम पन्हाते
गेना का दुख झेल रही है अब भी बैठी झुनिया ।

पोस्टर पर ये छपे हुये अभिलेख, अर्थ से सूने
सच्चाई की खड़ी फसल को खड़े, बैठ कर खूने ।