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प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय / मीराबाई
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राग आसाबरी
प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय॥
जल बिन कमल, चंद बिन रजनी। ऐसे तुम देख्यां बिन सजनी॥
आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन, बिरह कलेजो खाय॥
दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न आवै बैना॥
कहा कहूं कछु कहत न आवै, मिलकर तपत बुझाय॥
क्यूं तरसावो अंतरजामी, आय मिलो किरपाकर स्वामी॥
मीरां दासी जनम जनम की, पड़ी तुम्हारे पाय॥
शब्दार्थ :- रजनी =रात्रि। सजनी =दासी। कलेजो खाय = बिरह कलेजे को मरण जैसी
पीड़ा पहुंचा रहा है। बैना = बचन। पाय =चरण।