भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यारे परवीन सों प्यारी / कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'
Kavita Kosh से
प्यारे परवीन सों पयारी ने पसारी मान,
रूठि मुख फेरि बैठी आरसी की ओर है ।
लखि के ‘सरोज’ प्रतिबिम्ब ताकी सन्मुख में,
अंक भरिवे को धाय ढारे प्रेम नीर है ।
पास में गये तें रूप आपनो विलोकि भाज्यो,
प्यारी पीठ पाछें आय सहि के मरोर है ।
लाग्यो हे मनावन तहाँ ते लाल ठाढ़े देखि,
बाल की हँसी न रुकी आई बरजोर हैं ॥