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प्यार और तकरार तुम्हीं से / सत्यम भारती
Kavita Kosh से
प्यार और तकरार तुम्हीं से
फिर-फिर है मनुहार तुम्हीं से
पतझड़ मन का दूर करे जो
गुलशन और बहार तुम्हीं से
तुम तक ही मेरी कविताएँ
ग़ज़लों का विस्तार तुम्हीं से
सारी दुनियाँ तुममें दिखतीं
मेरा है संसार तुम्हीं से
सपने,ख़ुशबू,बादल,जुगनू
सबका कारोबार तुम्हीं से