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प्यार का रिश्ता पुराना हो गया / महावीर प्रसाद ‘मधुप’

प्यार का रिश्ता पुराना हो गया
हर कोई अपना बिगाना हो गया

तिनका-तिनका चुन बनाया गया था जिसे
वो पराया आशियाना हो गया

फ़र्ज़ की बातें सभी सपना हुई
स्वार्थ का सब दोस्ताना हो गया

है गरीबों का फ़कफत वाली ख़ुदा
डर न, गर दुश्मन ज़माना हो गया

चुप हुई थक कर ज़ुबां भी, क़दर
दर्द का लम्बा फ़साना हो गया

बन्द हे हर साँस ग़म की कै़द में
हाय! जीवन क़ैदख़ाना हो गया

जब मिले तो सब गिला जाता रहा
कारगर उनका बहाना हो गया

खो गया जब उनकी मीठी याद में
दर्द भी दिल का सुहाना हो गया

चल ‘मध्ुाप’ अब काम क्या तेरा यहाँ
ख़त्म तेरा आबोदाना हो गया