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प्यार की अनमोल घड़ियाँ / शकुंतला कालरा
Kavita Kosh से
माँ-बेटी डाले गलबहियाँ,
कितनी प्यारी-प्यारी घड़ियाँ,
मीठे गीतों की फुलझड़ियाँ,
छूट रही लड़ियों की लड़ियाँ।
पाकर तुझको बिटिया प्यारी,
मैंने जीती दुनिया सारी,
सुन-सुन कर तेरी किलकारी,
मैं जाऊँ तुझ पर बलिहारी।
तुझको पाकर सब कुछ पाया,
रोम-रोम मेरा हरषाया,
छूकर तेरी प्यारी छाया,
शीतल होती मेरी काया।
तू जीवन में ऐसे चमकी,
जैसे तम में बिजली दमकी,
कलियाँ सपनों की हौ महकी,
प्यारी-प्यारी ख़ुशबू लहकी।
प्यार समझ गुड़िया मस्काई,
मम्मी की गोद में आई,
पाली मम्मा कह बतिआई,
माँ के मुख पर रौनक छाई।