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प्यार को मैं जीती हूँ रोजमर्रा की तरह / अनिता भारती

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प्यार को मैं जीती हूँ रोजमर्रा की तरह
ठीक उसी तरह जैसे रोज थक-हारकर
चुस्कियाँ लेते हुए चाय पी जाये
उतरती थकन-सा प्रेम
या फिर सब्जी छौंकते समय
आदतवश हल्दी लाल मिर्च नमक
सही-सही कम ज्यादा हुए
अपने आप पड़ जाए
और खाने खाते-खाते मन सतुंष्ट हो जाए
कपड़े धोते फटकारते फैलाते तेज धूप
में सूखे कपड़ों में आयी कड़क
शरीर में उत्साह भर दे
इसी तरह प्यार को जीती हूँ मैं।