भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार जो मेरे कन्हैया से करेगा / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
प्यार जो मेरे कन्हैया से करेगा
नाम वह उसका सदा रटता रहेगा
रोक पायेगी उसे कब विघ्न-बाधा
साँवरा घनश्याम जिस दिल में रहेगा
आज छली मैं बंद कर लूँ इन दृगों में
कब तलक तू इस हृदय को यों छलेगा
प्यार की डोरी प्रबल है बाँध लेती
आज मन मेरा ये बंधन भी सहेगा
श्याम कर स्वीकार उर नवनीत मेरा
नीर-सा यह डगर तेरी ही बहेगा