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प्यार दिल में न अगर था तो बुलाया क्यों था! / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
प्यार दिल में न अगर था तो बुलाया क्यों था!
हमसे मिलने का ख़याल आपको आया क्यों था!
जब नज़र मोड़के चुपके से चले जाना था
दो घड़ी के लिए सीने से लगाया क्यों था!
हमको आँखें भी उठाने की मनाही थी अगर
आपने ख़ुद को सितारों से सजाया क्यों था!
सर पटकती है शमा लाश पे परवाने की
कोई पूछो भी तो उससे कि जलाया क्यों था
हमने माना कि बसे आपके दिल में थे गुलाब
आपने उनको मगर इतना सताया क्यों था!