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प्यार बना उपहार हमारा / उमेश कुमार राठी
Kavita Kosh से
प्यार बना उपहार हमारा
प्राण प्रिये आभार
याद रहेगा ताजीवन अब
यह मनहर उपकार
मुख पर है मुस्कान ज़रूरी
इसके बिन पहचान अधूरी
जोड़ रखी हो इन आँखों में
लाज हया का मान मयूरी
जीवन के अनुपम वैभव पर
एकल है अधिकार
वाणी में मृदु भाष भरा है
एक अनोखा हास भरा है
दामन के इस परिसीमन में
जीवन का अहसास भरा है
प्रेम सुवासित कस्तूरी से
महक रहा संसार
बौरायी आँगन में वृंदा
रूप लगे ज्यों पूनम चंदा
चख करके मकरंद नजर से
मीत मुदित है प्रेम परिंदा
मनभावन मीठी खुशियों पर
दिल होता अभिसार
प्यार बना उपहार हमारा
प्राण प्रिये आभार