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प्यार में / स्मिता झा
Kavita Kosh से
तुम्हारे भीगे शब्द
मेरे मन की गहराइयों में
गूँजते हैं
इस तरह
कि जैसे गूँजती हैं
चीड़ों को भेदती तेज हिमानी हवाएँ.............!
तुम्हारी भीगीं चाहतों का
मूक निमन्त्रण
मेरी सुरमई
आँखों में
छलकता है
इस तरह
कि जैसे खनखन छलकता है
फेनिल रंग में डूबे झरनों का निनाद.............!