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प्यार / जितेंद्र मोहन पंत
Kavita Kosh से
सूर्य की पहली किरण है प्यार
किरण से खिलता कमल है प्यार
कमल पर मंडराता भंवरा है प्यार
दिलों का संगम है प्यार ।
पूजा की थाली है प्यार
मंदिर, मस्जिद, गिरिजा है प्यार
राम, रहीम, ईशा है प्यार
दिलों का संगम है प्यार ।
चातक की स्वाति है प्यार
परवाने की शमा है प्यार
जीवन में सांस है प्यार
दिलों का संगम है प्यार ।
अलौकिक छवि दिखाता दर्पण है प्यार
तन—मन—धन अपैण है प्यार
पूर्ण समर्पण है प्यार
दिलों का संगम है प्यार ।