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प्यार / पल्लवी मिश्रा

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"मैं तुम्हें प्यार करता हूँ"
यह उक्ति हम/तुम
कितनी ही बार दोहराते हैं
फिर भी प्यार की गहराई को
कहाँ समझ पाते हैं
दरअसल
हम प्यार नहीं करते
बल्कि
चाहते हैं कि
कोई हमसे प्यार करे
अपने अन्दर के कई दरवाजे
बन्द रखकर
हम चाहते हैं
कि कोई हम पर ऐतबार करे
यह प्रेम नहीं
सिर्फ स्वार्थ है
इससे कहीं बहुत गहरा,
बहुत विस्तृत
प्रेम का अर्थ है
इसलिए
अगली बार
”मैं तुम्हें प्यार करता हूँ“
यह कहने से पहले
करना खूब चिन्तन, मनन
और मन्थन
फिर शायद यह कभी नहीं कह पाओगे
बल्कि
बार-बार यही दुहराओगे
कि "मैं खुद से प्यार करता हूँ"
"मैं खुद से प्यार करता हूँ।"