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प्यास / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
आने को जो रोज आता है
कहने को तो रोज कहता है,
पर मेरी प्यास की उत्कटता
क्यों एक विस्तृत
रेगिस्तान बन जाती है
उसके आगमन
उसके प्यार के समन्दर को
सोख जाना चाहती है
इतनी पूर्णता के बाद भी
यह शेष क्यों बच जाती है ?