भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रगतिशील / रंजना जायसवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जनेऊ की जगह
मांस की मोटी लकीर है
चोटी सिर के ऊपर नहीं
मस्तिष्क की शिराओं को
निर्देशित करती
अंदर गतिशील है
जी,सही समझे आप
ऐसे ही आज के
प्रगतिशील हैं