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प्रचार की ज़रूरत / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य

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1

यह मुमकिन है कि हमारे देश में सबकुछ वैसा नहीं है,
जैसा कि होना चाहिए था ।
लेकिन इसमें कोई शक़ नहीं कि प्रचार ठीक-ठाक चल रहा है ।
यहाँ तक कि भूखों को भी मानना पड़ेगा
कि खाद्यमन्त्री बड़ा अच्छा भाषण देता है ।

2

सरकार ने जब सिर्फ़ एक दिन में
हज़ार लोगों को मौत के घाट उतारा,
न कोई जाँच, न अदालत का फ़ैसला
प्रचारमन्त्री ने महान नेता के धीरज की तारीफ़ की
कि वह मारने से पहले इतने लम्बे अरसे तक इन्तज़ार करते रहे
और ये बदमाश अपनी दौलत और इज़्ज़त का मज़ा लेते रहे ।
क्या गज़ब का भाषण था,
कि सिर्फ़ मरने वालों के रिश्तेदार ही नहीं,
बल्कि कसाई ख़ुद भी रो पड़े थे ।

3

और फिर जब एक दिन साम्राज्य के सबसे बड़े हवाई जहाज़ में
आग लग गई, क्योंकि उसमें जल उठने वाली गैस भरी गई थी
ताकि न जलने वाली गैस जंग के लिए बचाई जा सके,
मरने वालों के ताबूत के सामने हवाई यातायात मन्त्री ने वचन दिया
कि वह हिम्मत नहीं हारेंगे, और इसके बाद
चारों ओर तालियाँ बजने लगी । यहाँ तक कि ताबूतों से भी
तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई देने लगी ।

4

और कितना लाजवाब है
कूड़े और महान नेता की किताब के लिए प्रचार !
हर शख़्स को पढ़नी पड़ी महान नेता की किताब
जहाँ भी पड़ी रही हो वह ।
चीथड़ा इकट्ठा करने के लिए शक्तिशाली गोयरिंग ने
ख़ुद को सबसे बड़ा चीथड़ा-संग्राहक घोषित किया
और चीथड़ा रखने के लिए राजधानी के बीचोबीच
एक महल बनाया गया
जो शहर जितना ही विशाल था ।

5

एक अच्छा प्रचारक
कूड़े के ढेर को सुरम्य पर्वत बना देता है ।
अगर घी न मिले, वह साबित कर देता है
कि पतली कमर हर इनसान के लिए अच्छी है ।
जब वह चौड़ी सड़क बनाने की डींग हाँकता है
हज़ारो लोग ख़ुश हो जाते हैं, मानो उन्हें मोटरगाड़ी मिल गई हो ।
भूखों मरनेवालों और जंग में जान देनेवालों की क़ब्र पर वह
पौधे रोपता है । लेकिन उसकी नौबत आने से काफ़ी पहले ही वह
अमन की बात करता है, जबकि तोपगाड़ियाँ चल पड़ी होती हैं ।

6

क़ायदे के प्रचार से ही यह मुमकिन था
कि करोड़ों लोगों को यक़ीन हो गया
कि सेना का निर्माण शान्ति के किले का निर्माण है
और हर नया टैंक एक शान्ति कपोत है
और सेना का हर नया दस्ता एक सबूत है
अमन से प्यार का ।

7

बहरहाल : अच्छे भाषण से भले ही बहुत कुछ मिले,
सबकुछ तो नहीं मिलता । कुछ लोग
यह भी कहने लगे हैं : अफ़सोस,
गोश्त की बात सुनने से पेट नहीं भरता
और पैण्ट-कोट का नाम सुनने से बदन में गर्मी नहीं आती ।
जब योजनामंत्री नए शानदार लिबास के कसीदे काढ़ता है
पानी नहीं बरसना चाहिए, वर्ना
श्रोताओं के फटे कपड़े भीगकर तार-तार हो जाएँगे ।

8
प्रचार के मकसद के बारे में
और एक बात लाज़मी है : प्रचार जितना बढ़ता जाता है,
बाक़ी सारी चीज़ें उतनी ही घटने लगती हैं ।

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य