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प्रतिसाद / सुरेन्द्र डी सोनी
Kavita Kosh से
बर्फ़ हो गई
हथेलियों को
रगड़ते निकला
वह मन्दिर से –
याचना का
यह प्रतिसाद
कि मुट्ठी में ज़मा
गरमी को
खोकर आया..!