प्रथमहि बन्दहुँ विघ्न विनाशन गिरजातनय गणेश यो / मैथिली लोकगीत
प्रथमहि बन्दहुँ विघ्न विनाशन गिरजातनय गणेश यो
देशि शारदा चरण मनाबिथ देहु सुमति उपदेश यो
कंुडिनपुर एक नग्र बखानल जनि इन्द्रासन रूप यो
जनि इन्द्रासन रूप मनोहर ऊपर मन्दिर छाय यो
दह अति निर्मल पंकज शोभित केलि करत राजा हंस यो
चहुँ दिशि लागल बेंत बास धन चानन गाछ दुआरि यो
माय मनाबथि भनहि विचारथि धिया भेलि ब्याहन योग यो
रानि सुमति लय अयला राजा भीषम हँकरथि कुल परिवार यो
पाणिग्रहण कय कृष्णहि दीजै सब मिलि रचति विचार यो
ओहि अवसर रुक्मदतहुँ आयल रूक्मिणि के जेठ भाय यो
पांच तनय दुहिता एक रूक्मिणि सुर नर मुनि मन मोहियो
ई कन्या शिशुपालहि दीजै निन्दित यादव राज यो
धेनु चराबथि बेणु बजाबथि क्षीर बेचि करथि अधार यो
नन्द महर घर जनम हुनक छनि जातिक ओछ गोआर यो
सुतक वचन राजा नहि मेटथि बारौ चानन छेबाय यो
हैकरहु नगरहि विप्रहि ब्राह्मण लग्नहु दीय ने विचारि यो
आबहु बारी हाथ सुपारी कर जोड़ि लीय गुआपान यो
कोन कोन राजा के नोतब कोन-कोन अरू देश यो
नोतब कनौज छतीस कौटिल्य नोतब दिल्लीक राज यो
मथुरा मोरंग तिरहुत नोतब नोतब सकल समाज यो
गया नोतब गयाधर नोतब नोतब सकल ग्राम यो
स्वर्गहि इन्द्र पतालहि नोतब मर्त्येभुवन कैलाश यो
ऐलंग, तैलंग सब गढ़ नोतब मगह मुंगेर यो
पूर्वहि नोतब गिरि उदयाचल पश्चिम वीर हनुमार यो
नवा पार नेपाल चम्पारण काशी सजू बरिआत यो
सादर सब ऋषि ब्राह्मण नोतब सुरनर मुनी सब झारि यो
करनाटकपुर ठक उड़ीसा नोतब पांडव कौरव राज यो
एक नहि नोतब नग्र द्वारिका जहुँ बसु नन्दकुमार यो
जे नहि औता रूक्मिणि नौता बान्हि देबनि बनियार यो सब
दिस तों जैहह हे ब्राह्मण एक दिश जनु जाह यो
अरही बनसँ खरही मंगायब वृन्दावन बिट बाँस यो
सहस्त्र योजन लय माँडब छाड़ब ताहि बैसायब बरिआत यो
रतन जड़ित चारू कोन उरेहल ऊपर पीताम्बर छाह यो
धन विश्वकर्मा आजु सम्हारल मंगल गाबथि नारि यो
मंगल धुनि सुनि तो एक सखिसँ रूक्मिणि पुछलनि बात यो की
बाबा घर भोज काज थिक की थिक पुतक बियाह यो
नहि बाबा घर भोज काम थिक नहि अछि पुतक बियाह यो
बड़ शिशुपाल तनिक दोउ भूषण तनिसँ तोहर बियाह यो
ई जब सुनलनि रूक्मिणि कामिनि उठलनि हृदय तरास यो ओ
नव नागरि दलसि सोहागिनि मरूछि खसल मछि माँझ यो की
सखि धायब चानन लाबय केओ सखि बिजन डोलाय यो
सखियन चेतल चेत जगाओल कर धय लेल उठाय यो
किए तोहें रूक्मिनि मनहि विरोधलि किए रे खसल मुरछाय यो
अन्तर बात जौं पूछि सखि सब सुनहुँ हमर मन लागि यो
हम तँ जीयब सखि कृष्णहि चरणधय नै तँ मरब विष खाय यो
केदलि बन सौं पत्र मङाओल निर्मल कयल मोसियान यो
लिखल विलाप बिनय करू माधव हैब हमहू तब दास यो
सिंहक भाग सियार लय भागल जनम अकारथ जाय यो
कुआँ बावली इष्ट कयल यदि आबि धरी इहो हाथ यो
लिखि पतिया विप्रहि बोलाओल तुरन्त द्वारिका जाह यो
देबउ रे ब्राह्मण अन्न धन लक्ष्मी और सहस्त्र धेनु गाय यो
हमरा लीला काल कलंगर मटिया रंग सुरंग यो
पबनहुँ सँ अधिक रथ जोतह जे रथ जायत तुरंत यो
देबऽ हे ब्राह्मण पैरक नुपुर गाराँक मुक्ताहार यो
एक दिवस विप्र द्वारिका रहिअह दोसर सागर पार यो
कृष्ण लेबाय तुरन्त तों अबिह हम होयब दास तोहार यो
एतेक बात लय जाहु द्वारिका कृष्णहि लाउ लिबाय यो
दु पतिया सब बात जनाओल ब्राह्मण ठाढ़ दुआरि यो
हरसि लेल यदु पत्र हाथ की बचैत भेल सनाथ यो
खन बाँचथि खन हृदय लगाबथि खन पूछथि निज बात यो
पाछासँ बलभ्रदहि आयल भगवन कयल गोहारि यो
चललि सखि सभ गौरी पूजय रूक्मिनि मय पड़ि आब यो
हमरा लै कृष्ण कत औतहि हम वनि परम अभागि यो
जौं लगि रूक्मिनि गौरी पूजल गरुड़ चढ़ि प्रभु धाय यो
कर धय रूक्मिनि रथहि चढ़ाओल चलि भेल श्रीभगवान यो
इद्र ब्रह्म सब साक्षी रहब रूक्मिनि हरल कुमारि यो
रूक्मिनि हरण सुनल शिशुपालहि सेहो रे खसल मुरछाय यो
रूक्मिनि हरण सुनल भूमिपालक सेहो रे उठल मनुसाय यो
बहुत कटक लय रुक्मद घायल रथके घेरल जाय यो
के कूड़ खेत चौगर्दा घेरल घेरल कमलाकान्त यो
डाँरासँ शिशुपाल उड़ाओल चढ़ल मारि भूमिपाल यो
बाम दहिन कय रूक्मिनि/कयलेल रुक्मद के लेल बान्हि यो
जनि यामिनि घन गरजय ताहिक तोहो प्रभु अन्तर्यामी यो
ईहो सदोदर भाय थिक रुक्मद हिनका दियौनि जीवनदान यो
द्वारिकापति प्रभु द्वारिका पहुँचल रुक्मद कयल कन्यादान यो
लोकनाथ भजु चक्रपाणि प्रभु अवसर ने करिय विचारे यो
रूक्मिनि सम्मरि गाबि सुनाओल कलिपातक दुरिजात यो