भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रभाव / नाज़िम हिक़मत / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हवा ... सितारे ... और लहरें
और उस अफ़्रीकी सपने की छाया
जल में गिरा जो अन्धेरे में

बादवान की तरह रात
चमकदार प्रकाश-स्तम्भ
आ रहे हैं हम ... गुज़र रहे हैं
सितारों से भरपूर इस संसार में
जहाँ खोता नहीं कुछ भी ... दोहराया जाता नहीं

हवा... और जल में चमकते सितारे
तूफ़ानी झुण्डों-सी लहरें
सुनाई दे रहा है गीत कहीं दूर से
उड़ रहा है गीत कहीं दूर पे
ग़ुम हो रहा है यहाँ

हवा ... और सितारों ... और लहरों की तरह

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय