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प्रभु! मोहि देउ साँचौ प्रेम / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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प्रभु! मोहि देउ साँचौ प्रेम।
भजौं केवल तुमहि, तजि पाखंड, झूँठे नेम॥
जरै बिषय-कुबासना, मन जगै सहज बिराग।
होय परम अनन्य तुहरे पद-कमल-अनुराग॥