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प्रयाण गीत / करणीदान बारहठ

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जागो हे जागो, जागो हे !

धरती रो मान पुकारै है,
माता री शान पुकारै है,
कण कण रो प्राण पुकारै है,
जागो हे..!

आज हिंवालै री गोदी में,
दुश्मन आ ललकार्यो है।
चीन चानड़ै रै छोरावां,
भारत नै धिक्कार्यो है।

ईं राम किशन री माता नै,
कुलखणियां फटकार्यो है।
नेफा और लद्दाख में देखो,
आंगण आण संवार्यो है
जागो हे..!

माता रै ऊंचै माथै पर,
मिनख पणो गणरायो है।
माता रै धानी आंचल पर,
लंगवाड़ो ललचायो है।
तोड़ गिरा ओ लूली टांगां,
तलवारां तरणायो है।
धोली आंख्यां काड गिराओ,
दुश्मन बढ़तो आयो है।
जागो रे..!

दुनियां रै हिवड़ै नै देखो,
दुनियां आज अडीकै है।
शांति शांति नै ल्याणणियां,
अै भारत आला दीखै है।

बुद्ध अर गांधी री बातां,
दुनियां थां स्यूं सीखै है।
उत्तर दक्खन पूरब पच्छम,
थांनै आज उडीकै है।

हां चाल पड़ो हां चाल पड़ो,
शान्ति नै आज बचाणी है
जगती री भोली जनता नै,
मुक्ति री राह दिखाणी है
जागो हे..!