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प्रसरण / रामनरेश पाठक
Kavita Kosh से
एक सिलसिला है नदी
एक मोड़ है झील
एक सागर का तनाव
इन्हें जोड़ देता है
यह नदी, सागर और झील
मुझमे ही सिलसिला,
मोड़ और तनाव बनकर प्रसृत होते है!