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प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर / हरिवंशराय बच्चन

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प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर!


युद्धक्षेत्र में दिखला भुजबल,

रहकर अविजित, अविचल प्रतिपल,

मनुज-पराजय के स्‍मारक हैं मठ, मस्जिद, गिरजाघर!

प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर!


मिला नहीं जो स्‍वेद बहाकर,

निज लोहू से भीग-नहाकर,

वर्जित उसको, जिसे ध्‍यान है जग में कहलाए नर!

प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर!


झुकी हुई अभिमानी गर्दन,

बँधे हाथ, नत-निष्‍प्रभ लोचन

यह मनुष्‍य का चित्र नहीं है, पशु का है, रे कायर!

प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर!