भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्राप्ति / अज्ञेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

स्वयं पथ-भटका हुआ
     खोया हुआ शिशु
     जुगनुओं को पकड़ने को दौड़ता है
     किलकता है :
     ‘पा गया! मैं पा गया!’

1958