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प्राप्ति / अज्ञेय
Kavita Kosh से
स्वयं पथ-भटका हुआ
खोया हुआ शिशु
जुगनुओं को पकड़ने को दौड़ता है
किलकता है :
‘पा गया! मैं पा गया!’
1958