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प्रार्थना ही तो है - १ / नरेश अग्रवाल

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जप्रार्थना ही तो है
जो निकलकर आती है
स्वर्ग के किसी द्वार से
और समा जाती है
मेरे निर्मल हृदय में
और फूटती है जहां से
कोमल संगीत बनकर मेरे होठों से

 - जो होती है
मेरे प्रिय ईश्वर के लिए
जिसे वह सुनता है
मेरे सबसे नजदीक खड़े होकर ।