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प्रार्थना / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
कवि राजा खुगशाल के लिए
यह दुनिया
औरतों के हाथों में दे दो
रोटी की तरह गोल और फूली
इस पृथ्वी पर
प्रेम की मधुर आँच हैं
रस माधुर्य का स्रोत हैं
इस सृष्टि में
जीवन की पवित्र कोख हैं औरतें
औरतों के हाथों में
सम्हली रहेगी यह दुनिया
बेहतर और सुन्दर बनेगी
रचना की प्रेरणा हैं औरतें
सूर्य की ऊष्मा हैं
ऊर्जा का उदगम हैं
हर्ष हैं हमारे जीवन का
उल्लास हैं
उज्ज्वल, निर्द्वन्द्व ममता की सर्जक हैं
हे पुरुषो !
एक ही प्रार्थना है तुमसे
यह हमारी दुनिया
औरतों के हाथों में दे दो
अगर तुम सुरक्षित रखना चाहते हो इसे
अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए
(2001)