मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
प्रिय रघुवर नयना कसिकऽ धरू
काँपनि सिया केर गात
श्रीखण्ड चानन घसिकऽ धरू
पानक पात लए आँखि मुनाओल
शुभ घड़ी टेमी लेसि कऽ धरू
ई अवसर नहि लाजक बेर थिक
अपन हाथ सक्कत करू
प्रिय पाहुन नयना कसिकऽ धरू
नहु-नुह धर सखि बाती
धरकय कोमल छाती
नहु-नहु पान पसारह
नहु-नहु दुहु दृग झाँपह
मधुर-मधुर उठ दाहे
मधुर-मधुर अवगाहे
कुमर करह विधि आजे
मधुश्रावणी भल काजे