भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रीत रो पानो : 5 / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
स्याणप है
फाड़‘र बाळ देवणां
प्रीत रा जूना पानड़ा
जका चुगली कर सकै
उण हर री,
पण कींकर डोवूं
मन री माटी मंड्योड़ा
हेत रा हरफां नै
जका कविता रै ओळावै
खुदोखुद बता बोकरै
बै कथावां।