Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 10:37

प्रीत रो पानो : 5 / मदन गोपाल लढ़ा

स्याणप है
फाड़‘र बाळ देवणां
प्रीत रा जूना पानड़ा
जका चुगली कर सकै
उण हर री,

पण कींकर डोवूं
मन री माटी मंड्योड़ा
हेत रा हरफां नै
जका कविता रै ओळावै
खुदोखुद बता बोकरै
बै कथावां।