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प्रेममे / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
प्रेममे सफलता
थोड़ लोककें भेटैत छैक।
प्रेममे हम
भने भऽ जायब
असफल
नहि खयबै माहुर
नहि खुअयबै ककरो माहुर
नहि करबै आत्महत्या
नहि करबै ककरो हत्या
पानि जकाँ निश्छलताक संक
खेप देबै
जिनगी।