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प्रेमियों के नाराज हो जाने के बाद भी / कुलदीप सिंह भाटी
Kavita Kosh से
प्रेमियों के नाराज हो जाने के बाद भी
खिलते हैं
और
झुक जाते हैं फूल
प्रेमियों की तरफ करके मुख।
नहीं ढलते देख उदासी के दिन
कुछ समय बाद भी
ये मायूस फूल
मुरझा जाते हैं
और
झर जाते हैं
नाराज़ प्रेमियों के प्रति रहके मूक।
खिलने और झरने के
इस अनवरत क्रम में
बन्द हो चुका हैं
प्रेमियों का मिलना।
लेकिन नहीं बंद हो पाया
फूलों का खिलना।
कितना सुखद आश्चर्य कि
प्रकृति सदा बनाए रखती है आशाएँ
और
करती है प्रतीक्षा
कुछ नया घटने की,
उदासियों भरी अंधेरी रात के बाद
प्रेम-पौ फटने की!