भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम-मुदित मन से कहो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
(राग बिहाग-ताल दादरा)
प्रेम-मुदित मन से कहो राम राम राम।
श्री राम राम राम, श्री राम राम राम॥
पाप कटैं, दुःख मिटैं, लेत राम-नाम।
भव-समुद्र सुखद नाव एक राम-नाम॥
परम सांति-सुख-निधान नित्य राम-नाम।
निराधार को अधार एक राम-नाम॥
परम गोप्य, परम इष्ट मंत्र राम-नाम।
संत-हृदय सदा बसत एक राम-नाम॥
महादेव सतत जपत दिव्य राम-नाम।
कासि मरत मुक्त करत कहत राम-नाम॥
माता-पिता, बंधु-सखा, सबहि राम-नाम।
भक्त-जनन-जीवन-धन एक राम-नाम॥