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प्रेम-13 / सुशीला पुरी
Kavita Kosh से
अगोरता
माँ का स्पर्श
किसी झुरमुट में
किसी कोटर में
किसी निर्जन में
पक्षी के बच्चे-सा
दुबका रहता है
प्रेम...!