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प्रेम-3 / सुशीला पुरी
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प्रेम
पर्वतों के बीच स्थित
झील है मौन की
जहाँ
पानियों से ज़्यादा
आँसुओं का अनुपात है
जहाँ
स्थिर जल में
भागती मछलियाँ हैं
जहाँ
एकान्त में गोताखोर
खोजते रहते हैं
एक अंजुरी हँसी
और आँख भर आकाश...!