भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम करते हुए लोग / गोविन्द माथुर
Kavita Kosh से
प्रेम करते हुए लोग
अक्सर रहते हैं चुप-चुप
प्रेम करते हुए लोग
अक्सर रहते हैं बेख़बर
प्रेम करते हुए लोग
कुछ नहीं सोचते
प्रेम के सिवाय
प्रेम करते हुए लोग
अक्सर रहते है घबराए
प्रेम करते हुए लोग
अक्सर रहते है चौकन्ने
प्रेम करते हुए लोग
अक्सर पकड़े जाते हैं
प्रेम करते हुए