भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम की ज्योति से भरपूर / सरदार सोभा सिंह
Kavita Kosh से
प्रेम की ज्योति से भरपूर
जो हृदय
प्रेम से ज्योतिर्मय था
उसी हॄदय में बैर?
नहीं!
भिखारी रखते हैं बैर
भूख करवाती है घृणा
भूख बनाती है बेगाना.