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प्रेम की हथेली / पुष्पिता
Kavita Kosh से
घड़ी में
जागता है समय
स्मृतियों का
प्रिय की साँसों में
उसकी साँसें
अपनी आँखों में
जोड़ लिए हैं उसने प्रिय के नयन
जी - जीवन जुड़ाने के लिए
प्रिय की सुगंध को
सहेज लायी है
सामानों में...
कि वे जीवित स्वप्न बन गये
और प्रिय के पहचान की सुगंध
प्रणय अस्मिता के लिए
कि अब
उसके सामान और वह
प्रिय की पहचान दे रहे हैं
प्रेम की हथेली की तरह