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प्रेम / तसलीमा नसरीन / सुलोचना
Kavita Kosh से
यदि मुझे काजल लगाना पड़े तुम्हारे लिए, बालों और चेहरे पर लगाना पड़े रंग, तन पर छिड़कनी पड़े सुगन्ध, सबसे सुन्दर साड़ी यदि पहननी पड़े, सिर्फ़ तुम देखोगे इसलिए माला चूड़ी पहनकर सजना पड़े, यदि पेट के निचले हिस्से के मेद, यदि गले या आँखों के किनारे की झुर्रियों को कायदे से छुपाना पड़े, तो तुम्हारे साथ है और कुछ, प्रेम नहीं है मेरा । प्रेम है अगर तो जो कुछ है बेतरतीब मेरा या कुछ कमी, या कुछ भूल ही, रहे असुन्दर, सामने खड़ी हो जाऊँगी, तुम प्यार करोगे । किसने कहा कि प्रेम ख़ूब सहज है, चाहने मात्र से हो जाता है ! इतने जो पुरुष देखती हूँ चारों ओर, कहाँ, प्रेमी तो नहीं देख पाती !!
मूल बांगला से अनुवाद : सुलोचना