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फ़रहीन / कुमार राहुल
Kavita Kosh से
आँसू
इंतजार में थकी आँखों से
ढुलकी हुई उम्मीद है!
इंतजार
दरियाओं को बाँधें हुए
साहिलों का सब्र!
हार और जीत
इश्क में लिए गए
फैसलों का नतीज़ा हैं
फ़रहीन!
निकल आओ कि जैसे
निकल आती हो रोज़
दफ़्तर में छोड़कर
फाइलें अपनी...