भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फ़लक से मसर्रत की बरसात होगी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
फ़लक से मसर्रत की बरसात होगी
मुहब्बत में डूबी कोई रात होगी
बड़ी खुशनसीबी वो होगी हमारी
कि जब साँवरे से मुलाक़ात होगी
हमेशा है दिल में उसी को बसाया
अगर वो मिला तो बड़ी बात होगी
नहीं जान पाया कभी दिल हमारा
खुशी की घड़ी चंद लम्हात होगी
रहे इश्क़ में मोड़ भी वो मिलेगा
जहाँ आँसुओं की ही सौगात होगी
ये बाजी अनोखी है शतरंज जैसी
न जाने कि अब जीत या मात होगी
तेरे द्वार आ के लुटा जिंदगी दें
हमारी कभी क्या ये औकात होगी