भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फ़हमाइश / नज़ीर अकबराबादी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अपने ग़म ख़्वारों से कोई आन हँस ले बोल ले।
दर्दमन्दों का निकाल अरमान हँस ले बोल ले॥
फिर कहाँ में दिलबरी ये शान हँस ले बोल ले।
दम ग़नीमत है अरे नादान हँस ले बोल ले॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

आज तुझको हक़ ने दी है हुस्नों खूबी की बहार।
चाहने वालों से कर ले कुछ सलूक व मेहरो प्यार॥
कोंदना बिजली का और जोवन का मत गिन ऐतबार॥
काठ की हाँड़ी नहीं चढ़ती है प्यारे बार-बार॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

अब तो मुँह गुल है प्यारे फिर धतूरा आक है।
आज ये गुलशन खिला है कल को सूखा साख है॥
जो उठा शोला भबूका आखिरश को राख है।
चार दिन की चाँदनी है फिर अँधेरा पाख है॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

इस क़दर मत कर मेरी जाँ अपने जोबन पर गुमाँ।
ये नहीं रहता सदा काफिर किसी के पास याँ॥
जब गिरे हैं दाँत और पड़े चेहरे के ऊपर झुर्रियाँ।
फिर ये हँसना बोलना लौर फिर ये अचपलियाँ कहाँ॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

ऐसा कोई हुस्न वाला आह तू हमको बता।
जिसकी खूबी का हमेशा एकसा आलम रहा॥
क्यों ख़फा होता है हमसे याद रख ऐ दिलरुबा॥
हाथ आता है नहीं काफिर जब ये जोबन गया।
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

क्या हमारा हाले दिल खूबी तुझे कहती नहीं।
या हमारी चाह तेरे नाज़ को सहती नहीं॥
आह खेती हुस्न काफिर की हरी रहती नहीं॥
नाव कागज़ की है प्यारे ये सदा बहती नहीं॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

कैसे-कैसे खूबरू याँ हो गये हैं मेरी जाँ।
अपने ग़मख़्वारों से क्या क्या कर गये हैं खूबियां॥
तू जो रूठा रूठा रहता है ना मेहरबाँ।
देख पछतावेगा गाफिल हुस्न पर मत रख गुमाँ॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

हुस्न का आलम सितमगर हर घड़ी मिलता नहीं।
गुल भी खिल एक बारी ऐ जाँ! फिर कभी खिलता नहीं॥
मुझसे तेरा रूठना हरदम का अब झिलता नहीं।
दूध और दिल जब फटा प्यारे ये फिर मिलता नहीं॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

आज तो आशिक़ का सर है जान! तेरा पाँव है।
मिन्नतें होती हैं और तेरे नहीं कुछ भाव है॥
अब ये माशूकी का सक्ता आज तेरे नाँव है।
भूल मत इस पर मियाँ ये ढलती फिरती छाँव है॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

दिल गरीबों के जो प्यारे तुझसे अब दुःख पायेंगे।
एक दिन तुझको भी खूंबा ये यों ही कल पायेंगे॥
बात को हँसने को दे दे झिड़कियाँ तरसायेंगे।
पांडे जी पछतायेंगे वो ही चने की खायेंगे॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

अपने अपने वक्त में क्या क्या परीरू बन रहे।
चाँद से मुखड़े रहे और गुल से उनके तन रहे॥
न किसी का धन रहे और न सदा जोबन रहे॥
न सदा फूले तुरई और न सदा सावन रहे॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

अब तो चेहरे पर है तेरे हुश्नो खूबी की झलक।
ख़्वाह तू हँस बोल हम से ख़्वाह गुस्सा हो झड़प॥
एक दिन जाती रहेंगी ये चमक और झमक।
फिर जो बोलेगा तो हर एक यूँ कहेगा चल न बक॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

अब ‘नज़ीर’ आगे तेरे रहता है हाजिर सुबहो शाम।
प्यार से हँस बोल प्यारे पी मये उल्फत का जाम॥
फिर कहाँ ये दिलबरी ये ऐश की बातें मदाम।
कुछ न होयेगा रहेगा आखिरश अल्लाह का नाम॥
मान ले कहना मेरा ऐ जान! हँस ले बोल ले।
हुस्न ये दो दिन का है मेहमान हँस ले बोल ले॥

शब्दार्थ
<references/>