फासला बीच का मिटा कैसे
याद उसने मुझे किया कैसे
अपनी पलकों में कैद रक्खा था,
राज दिल का मेरे खुला कैसे
जिस्म के पैरहन के पार पहुँच
उसने अहसास को छुआ कैसे
जन्म देकर मैं घोंट दूँ बोलो,
अपनी उम्मीद का गला कैसे,
मौत जिस रोज मेरे दिल को मिली,
भूल जाऊँ वो हादसा कैसे,
जो तेरे नाम रूह भी कर दी,
अब मेरा मुझमें कुछ बचा कैसे