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फ़ासला / कमल
Kavita Kosh से
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मेरे घर से
तेरे घर तक
दो कदमों का फासला भी नहीं
पर
मेरे दिल से
तेरे दिल तक
पूरा एक मरुस्थल है।
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मेरे घर से
तेरे घर तक
दो कदमों का फासला भी नहीं
पर
मेरे दिल से
तेरे दिल तक
पूरा एक मरुस्थल है।