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फागुन आया है मनभावन / मधुसूदन साहा

मेल बढ़ाओ
नाचो गाओ
फागुन आया है मन भावन।
डाली-डाली फूल खिले हैं
गंध बाँटता है बागीचा,
एक दूसरे गले मिल रहे
आज न कोई ऊँचा-नीचा,
भेद मिटाओ
गले लगाओ
भर लो बाँहों में अपनापन।
प्यार भरा मनमोहक मौसम
हर देहरी का दुख हर लेता,
अपने रंगों से हर मन के
खालीपन को यह भर देता,
 हँसो-हँसाओ
 मौज मनाओ
आया है दिन कितना पावन।
गली-गली में, गाल-गाल पर
इंद्रधनुष देखो उग आया,
हर दरवाजे खुशियाँ छायीं
हर उदास मुखड़ा मुसकाया,
प्रेम बढ़ाओ
हाथ मिलाओ
जुड़ जाये आंगन से आंगन।